धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
अर्थ: हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमद्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
On Trayodashi (thirteenth working day on the dim and brilliant fortnights) one need to invite a pandit and devotely make choices to Lord Shiva. Individuals who rapid and pray to Lord Shiva on Trayodashi are Shiv chaisa often healthier and prosperous.
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
It truly is believed that common chanting of Shiva Chalisa with utmost devotion has the facility to eliminate many of the road blocks and difficulties from one particular’s lifetime.